मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

सुखमय जीवन का खजाना

स्वस्थ जीवन के लिए प्रातः सूर्योदय से पहले जागना चाहिए तथा नित्य संध्या करनी चाहिए। वेद मंत्रों में वह खजाना भरा पड़ा है जिससे मनुष्य अपना भौतिक जीवन सुखमय करने के साथ-साथ आत्मिक सुख की अनुभूति भी करता है।

मंत्र शक्ति परमाणु से भी अधिक शक्तिशाली होती है वह विकृत वातावरण में सुकृति ला देती है। मनुष्य के तन, मन और हृदय को शुद्ध कर बुद्धि को श्रेष्ठ मार्ग में प्रचोदित करती है। इसीलिए गायत्री मंत्र में सविता यानी सूर्य उपासना करते हुए प्राप्त की जाती है। हमारी बुद्धि को श्रेष्ठ मार्ग की और प्ररित करती है।

जो लोग सूर्योदय से पहले शय्या त्याग कर नित्य कर्म कर लेते हैं उनकी बुद्धि स्वतः निर्मल हो जाती है। प्रातः सूर्योदय से पूर्व तथा सायं सूर्यास्त के समय ही संध्या करनी चाहिए।

ND
कलियुग में व्यक्ति बहुआयामी होने के कारण अत्यंत व्यस्त हो चुका है। वह भौतिक उन्नति के जितने शिखर में पहुंच रहा है उतना ही आध्यात्मिक अवनति की ओर बढ़ रहा है।

इसका मुख्य कारण है वह आत्मकल्याण के कार्यों से जी चुरा रहा है। इसलिए हमें आत्मकल्याण का मार्ग अपना कर मंत्रों से सुखमय जीवन का निर्माण करना चा‍हिए।