मंगलवार, 31 मई 2011

आर सी एम मै सफलता




EXAM HALL में EXAM चल रहा था पहले STUDENT ने ANSWER SHEET में कुछ नहीं लिखा क्या वो PASS होगा नहीं दुसरे STUDENT ने ANSWER SHEET में लिखा तो खूब पूरी की पूरी ANSWER SHEET भर दी पर सारा का सारा ANSWER WRONG लिखाक्या दूसरा STUDENT PASS होगा नहींतीसरे STUDENT ने ANSWER SHEET में लिखा भी और बहुत लिखा पर 1ST QUESTION का ANSWER SECOND में, SECOND का ANSWER FIFTH में , FIFTH का ANSWER SIX में सब उल्टा लिखा लिखा क्या तीसरा STUDENT PASS होगा नहीं पर चोथे STUDENT ने ANSWER SHEET में लिखा भी, बहुत सारा लिखा और सब कुछ सही लिखा और पूरा का पूरा लिखा क्या चोथा STUDENT PASS होगा हा १०० % चारो STUDENT को आपने देखा चारो में कोई न कोई अंतर था उन्होंने जैसा लिखा वैसा ही उनको RESULT मिला RCM BUSINESS में भी बिलकुल ऐसा ही है जो लोग ज्वाइन कर लेते है पर (ANSWER SHEET में कुछ लिखते नहीं ) मतलब इसमें काम नहीं करते उनका RESULT पहले STUDENT की तरह FAIL का मलतब नाकामयाबी का होगादूसरा जो लोग ज्वाइन कर इसमें काम तो बहुत करते है REPUCHASE करते है JOINING करवाते है लेकिन लोगो को सही जानकारी नहीं देते गलत जानकारी देते है जैसे दुसरे STUDENT ने ANSWER SHEET बहुत लिखा पर WRONG लिखा )उनका RESULT भी तीसरे STUDENT की तरह FAIL (नाकामयाबी) का होगातीसरा जो लोग JOIN करते है और तीसरे STUDENT के जैसे ANSWER SHEET में सब उल्टा पुल्टा लिखते है मतलब लोगो को उल्टा पुल्टा कुछ भी जानकारी देते है उनका भी RESULT तीसरे STUDENT की तरह FAIL का (नाकामयाबी) का होगा पर जो लोग चोथे STUDENT की तरह ANSWER SHEET में सब ठीक सही और पूरा पूरा लिखते है मतलब लोगो को सही JOIN कराते है उनको सही जानकारी देते है और लगातार चलते है उनका RESULT चोथे STUDENT की तरह १००% PASS मतलब १००% कामयाबी का होगा अब आप सोच ले आप को कोंन सा STUDENT बनना है

रविवार, 15 मई 2011

सन्गठन

सन्गठन की ताकत के बारे में हम सब भली -भाति जानते है !सफलता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है की आप अपने साथियों ,सहयोगियों के साथ किस तरह समन्वय बिठाते है !अकेले की ताकत दुनिया में कोई काम नही करती !जब आपको दुसरो की ताकत का इस्तेमाल करना आ जाता है तो ही आप किसी अच्छे कार्य को सम्पन्न कर सकते हो !एक विचित्र बात यह है की दुनिया में हर मनुष्य अलग -अलग स्वभाव का होता है !सबकी अलग -अलग योग्यता ,कार्य कुशलता ,पसंद ,मनोवृतिया, आदते होती है !कोई भी दो व्यक्ति हर प्रकार से एक तरह के होना बिलकुल असंभव है !एसे में सबसे समन्वय बिठाना निश्चित रूप से एक अति कुशलता का कार्य है,लकिन कुछ बातो का ख्याल रखे तो काफी हद तक यह सम्भव है और यही आपकी सफलता को निर्धरित करता है !*आपका उदेश्य सबका उपयोग करके स्वयम को विकसित करने का नही होना चाहिए ,बल्कि अपनी सेवा से सबको विकसित करने का होना चाहिए !*किसी को अपने जैसा बनाने की चेष्टा मत करो बल्कि जिसमे जो प्रतिभा है ,उसका उपयोग करने के प्रयास करो !*दुसरे आपके कहने से नही ,आपके आचरण को देखकर सुधरते है !*किसी के अहंकार पर चोट न करे ,उसके विवेक को जागृत करे !*जो सबसे ज्यादा झुकता है वह सबसे ज्यादा सम्मान का पात्र होता है!* दुसरो के लिए किसी मूल्यवान वस्तु का बलिदान करना अमूल्य की प्राप्ति का साधन है !***छोटो से आपका प्यार बना रहे इसी में आपका बडप्पन है !*तोड़ने वाली ताकतों का मुकाबला एकजुट होकर करे !*छोटी -मोटी बातो को ज्यादा तुल न दे !* हमेशा गंभीर बाते ही न करे !मनोरंजन नजदीकिया बढ़ाता है !*किसी से सहयोग चाहते है तो पहले सहयोग करे !*किसी का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए एक बार कर सकते है बार-बार नही !*जो अभी अपरिचित है वह भविष्य का सहयोगी हो सकता है यह कभी न भूले !*तात्कालिक लाभ -हानि के लिए सम्बन्धो को खराब न करे !*सब मेंकुछ न कुछ कमी होती है ,यह ध्यान में रखना बहुत जरूरी है !*अपने साथियों की प्रशंसा करने का एक भी अवसर न खोये !*जिसका जितना हक है उसे देने में अफ़सोस न करे !*कमजोर आदमी को बाहर नही उसे मजबूत करने के प्रयास करे !*किसी को सुधारनेके लिए दुसरो के सामने उसकी आलोचना नही करे !*कोई सामूहिक कार्य करना हो तो दुसरो को आदेश देने के बजाय खुद वह काम शुरू कर दे !*गलती करने वाले से घृणा करोगे तो आपका प्रिय कोई नही होगा !*हमेशा अपने निर्णय ही न थोपे , साथियों के विचार पर भी पूरा ध्यान दे !*नये साथी मिल जाये तो पुरानो को न छोड़ दे !*किसी की आलोचना करने से पहले सोच ले उस परिस्थिति में आप क्या करते ?*आपके अंदर जोश है तो आपके सन्गठन में जोश रहेगा !*आप अपनी गलती स्वीकार करोगे तो आपके साथी भी अपनी गलती स्वीकार करेगे !*अपने साथियों के व्यक्तिगत जीवन का भी ध्यान रखे !* अपने साथियों की तकलीफ के समय साथ देना आपका फर्ज है !*किसी को छोटा मत समझो ,दीपक की एक लो पुरे घर को प्रकाशवान कर देती है !

बातचीत




जीवन में कुछ भी कार्य सम्पन्न करना हो तो दुसरो के सम्पर्क में आना पड़ता है ! उनमे किसी न किसी रूप में सम्बन्ध स्थापित करना होता है और उसका मुख्य तरीका है बातचीत ! जिस प्रकार जीवन में खाना -पीना जरूरी है उसी प्रकार बातचीत करना भी जरूरी है !मों रहने वाले या नही बोल पाने वाले भी बातचीत का कुछ न कुछ तरीका अपनाते ही है ! बातचीत करते समय अलग -अलग स्थिति में अलग -अलग सिध्दांत अपनाने पड़ते है !हर समय एक सिध्दांत काम नही कर सकता !सामने वाले के साथ आपके सम्बन्ध कैसे है ,क्या विषय है ,क्या समय है ,क्या उधेश्य है उसी के अनुरूप अपने विवेक से काम लेना होता है !महत्वपूर्ण यह नही है आप कितना जानते है या आपकी बात कितनी सही है !महत्वपूर्ण यह है कि आपकी बात कितनी प्रभावशाली रही !बातचीत करते समय कुछ बुनियादी उसूलो को ध्यान में रखते हुए विवेकपूर्ण रहेगे तो हर छेत्र में सफलता प्राप्त होगी ,लोगो से आपके सम्बन्ध मधुर होगे व् आपका सम्मान बना रहेगा ! *अपनी मुख्य बात करने से पहले कुछ इस तरह की चर्चा करे की आप सामने वाले के स्वभाव को समझ सके ! *अपनी बातचीत का तरीका सामने वाले के स्वभाव के अनुकूल रखे ! *मनुष्य दुसरो के फायदे के बजाय अपने फायदे के बारे में ज्यादा सोचता है !अत हमेशा दुसरो के फायदे के बार मे बात करे !*लोगो से बात करे तो उनके गुणों का ज्यादा बखान करे ,खुद के बारे मे कम !*सामने वाले की बात थोड़ी प्रशंसा के लायक हो तो उसकी खुलकर प्रशंसा करे !*सामने वाला बहुत गुस्से मे हो तो आपका शांत रहना ही उचित है !उसको कुछ समझाने का प्रयास उस समय न करे !***बातचीत एक से ज्यादा लोगो से चल रही हो तो किसी एक को ही पूरा महत्व न दे !* एक ही बात को बार -बार न दोहराए !*ज्यादा से ज्यादा सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करे !*** बातचीत मे अहंकार का भाव न आने दे !*** प्रसन्न मुद्रा बातचीत के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है !

व्यवहार कुशलता




आपकी सफलता बहुत कुछ आपकी व्यवहार कुशलता पर टिकी होती है ! सफलता के लिए दुसरो को प्रभाव मे लेना व् उन्हें प्रभाव मे बनाकर रखना बहुत ही आवश्यक है ! एक बार किसी को प्रभाव मे तो आप अपनी लुभावनी बातो से ले सकते है ! लेकिन हमेशा प्रभाव मे बनाये रखने के लिए आपके अंदर सच्चाई व् इमानदारी का होना बहुत जरूरी है ! व्यवहार कुशलता का मतलब केवल वाक्पटुता नही है ! बल्कि व्यवहार कुशलता का मतलब दुसरो के प्रति अपने मन में सदभावाना रखना और जरूरत पड़ने पर उसको प्रदर्शित करना है ! केवल दिखावटी व्यवहार कुशलता आपकी सफलता में सहायक नही बन सकती ! लोग आपके सामने क्या बोलते है यह महत्वपूर्ण नही है ! लोग आपके पीछे से क्या बोलते है यह महत्वपूर्ण है ! *आप सामने वाले को अपने उग्र व्यवहार की बजाय विनम्र व्यवहार से ज्यादा झुका सकते है ! *किसी को दिए गये समय से कुछ पहले पहुचना आपके जिम्मेदार होने का अहसास करता है ! *अभिवादन हमेशा खुले दिल और उत्साह से करे ! *एसे वायदे न करे जिन्हें पूरा करना मुश्किल हो ! *किसी को भी सिरदर्द या मुसीबत न समझे ! *किसी की तकलीफ के समय जितना सहयोग आपसे बन पड़े अवश्य करे ! *आपको किसी से प्रेम हो ,न हो चल सकता है ,लेकिन बैरकिसी से न पैदा करे ! *कभी कोई छोटा या अनजान व्यक्ति सम्पर्क में आये और आपके पास समय भी न हो तो जो भी बोले ,मीठी वाणी में बोले चाहे वे दो शब्द ही हो ! *

मंगलवार, 10 मई 2011

आचरण





आचरण बाहर की वस्तु नही है , आचरण भीतर की प्ररेणा से उपजता है ! जो आप ग्रहण करेगे ,वही आपके भीतर होगा !अत हमेशा अच्छा भोजन करे , अच्छे लोगो की बाते सुने , अच्छा संगीत सुने ,अच्छा साहित्य पढ़े और अच्छे लोगो के साथ रहे !आचरण की शुद्दी के लिए कथनी और करनी के अंतर को दूर करना बहुत जरूरी है !आचरण की सुन्दरता शरीर की सुन्दरता से ज्यादा लोगो को अपना बनाती है !पैसे से आप वस्तुए खरीद सकते है , पर लोगो के दिलो को नही ! दिलो में तो आप आचरण से ही बस सकते है ! विनम्रता बलवान का गहना है और कमजोर की ताकत !किसी को धोखा देकर उठाया हुआ फायदा भविष्य को बहुत बड़ा नुकसान है !दुसरे के आचरण को सुधारने के लिए खुद दुराचरण मत कीजिये ! विचारो की निर्मलता का असर आचरण पर स्वत ही आ जाता है ! अपना बडप्पन दिखाने की कोशिश कभी न करे , इसी में आपका बडप्पन है !नशा शब्द नाश से बना है , क्योकि नशा सुख ,शांति ,सम्पति ,सम्मान ,शरीर ,समय ,स्वजन और समाज सबका नाश करता है !दुसरो की सेवा न कर सको तो कम से कम किसी को कष्ट मत दो !किसी के साथ विश्वासघात करना स्वाभिमान की हत्या है !आपका आचरण शुद्द है तो अज्ञानता का पश्चाताप न करे !ज्ञान की आवश्यकता आचरण की शुद्दता के लिए होती है !पावन आचरण भगवान की पूजा से ज्यादा धार्मिकता की बात है !धोखे व् फरेब द्वारा धन कमाया जा सकता है पर मन की शांति नही ,जबकि इमानदारी से धन व् शांति दोनों कमाए जा सकते है !{हमे अपनी मनोवृतियो के प्रति सजग होना पड़ेगा !}

सोमवार, 9 मई 2011

आत्म ज्ञान

1 मनुष्य जन्म इस ब्रहमांड की सबसे अनमोल उपलब्धी है !यह सोचने का विषय है की क्या हम इसका सद्पुयोग कर रहे है ? २ हाथ में आये हीरे को हम पत्थर समझते रहे तो इसमे हीरे का क्या दोष है ? ३ सुख किसी वस्तु में नही है , वह मन के भीतर है ! यदि वस्तु में होता तो एक ही वस्तु से एक आदमी सुखी व् एक दुखी न होता ! ४ यदि हमे अपने लिए ही जीना है तो परमात्मा ने हमे मनुष्य न बनाया होता ! ५ जब आप अपने से अमीर आदमी को देखते हो तो अपने आप को गरीब समझने लग जाते हो और अपने से गरीब आदमी देखते हो तो अपने आप को अमीर समझने लग जाते हो !यह तो ऐसा हो गया कि बुखार आपका नापना हो और थर्मामीटर किसी और के लगाया जाये ! ६ कुछ नुकसान होने पर हम बहुत पश्चाताप करते है !जरा सोचो दुनिया में हम क्या लेकर थे ? ७ आपकी कमजोरियों को बताने वाले से कभी नाराज न होवे ,बल्कि उसे धन्यवाद दे !

कर्म

जहा जीवन है वहा कर्म अनिवार्य है ! छोटे से छोटे जीव भी अपने कार्य में संलग्न है !जिन्दगी में कभी भी बिना किये कुछ पाने की लालसा मत रखो ! जहा कर्म नही वहा जीवन नही !बिना कर्म के जीवन का कोई मोल नही ! कर्म करते कभी लगे कि काश कर्म नही करना पड़े तो यह आपकी भूल है! यह प्रवृति हमेशा मुसीबतों कि और धकेलती है !ज्यादातर लोग ऐसे रस्ते खोजते रहते है

प्रेम





यहाँ पर प्रेम का अर्थ है आप अपनी प्रकृति प्राणी मात्र से प्रेम करने की रखो यानि आपके द्वारा किसी का भला हो सके तो अच्छा है, लेकीन किसी का अहित कभी न हो !आपका प्रयास यह हो की आपकी वजह से किसी का दिल न दुके !किसी को गुनाह या कुछ गलत करने से रोकना भी उससे प्रेम करना ही है , लेकिन बदला लेने का भाव कभी न रखे ! यह आपकी आदत मै आ जाने पर आपके सरे निर्णय स्वत ही ठीक होगे !आपके मुख से स्वत ही अच्छे बोल निकलेगे ,आपका व्यवहार सबसे अच्छा ही होगा !

शुक्रवार, 6 मई 2011

FOLLOWING BE USEFUL.

1, TAKING PEOPLE TO THE RCM BAZAARS. 2, DISPLAYING PRODUCTS IN DRAWING ROOM. 3, PROVIDE HOME DELIVERY TO THE NEIGHBORHOOD OR ACQUAINTANCES WHO ARE NOT THE DISTRIBUTORS OF RCM. 4, GIVING THE VARIOUS MAIDS OR MALE-MIADS THE RCM PRODUCTS