बुधवार, 24 अगस्त 2011

मल्टी लेवल मार्केटिंग क्या है? आर सी एम ही क्यों?

मल्टी लेवल मार्केटिंग क्या है? आर सी एम ही क्यों?मल्टी लेवल मार्केटिंग की सुरुवात कनाडा में १९५९ हुई, एम.एल.एम. का मतलब है की कोई भी प्रोडक्ट जोकंपनी बनाती है वो सीधाकंजूमर के पास पहूँचता है जिसमे कोई बिचोलिया जैसे स्टॉकिस्ट, व्होलसेलर,रिटेलर इत्यादी नहीं होता तथा कंपनी से प्रोडक्ट मार्केट भाव से ३०% से ५०% सस्ता मिलता है तथा उसमे कोई मिलावट नहीं हो सकती क्योकि बीच में कोई बिचोलिया नहीं होता तथा कंपनी के गोदाम से सीधा माल ग्राहक के पास आता है तथा कंपनी के विज्ञापनकर्ता आप खुद है इसलिए कंपनी आपको ३०% से ४०% कमीशन के रूप में डिस्ट्रीबुट करती है. आप एक उदहारण देखे के एक कंपनी १ किलो चाय २००रु. में बेच सकती है लेकिन उसके खरीददार कम है तो कंपनी क्या करेगी किसी क्रिकेट खिलाडी,फिल्म हीरो,हेरोइन से उसका विज्ञापन मीडिया जैसे टीवी न्यूजपेपर में करवाएगी जिसे देखकर दर्शक/ग्राहक ये मान लेता है ये विज्ञापन सही है और २००रु. किलो की चाय २५०रु. से ३००रु.किलो दे कर खरीद लेता है जिसमे ३०% से ४०% कीमत विज्ञापन की भी चुकाता है आप में से बहुत से लोग ये नहीं जानते की एक विज्ञापन करने का ये सेलेब्रिटी कई करोड़ रु. लेते है जिसका बोझ सीधा हमारी जेब पर पड़ता है अगर अनुमान लगाया जाये तो एक आदमी जो कम से वेतन पाता है अपनी पूरी जीन्दगी की ३०% से ४०% कमाई लगभग २० से २५ लाख रु विज्ञापन का चूकाता है जिसका उसे पता ही नहीं चलता तथा हमें सहज ही इसका विश्वास ही नहीं होता.आप एक उदहारण देखे के एक कोल्ड ड्रिंक की बोटल की लागत सिर्फ १रु पड़ती है क्योकि उसमे सिर्फ जीरा वाटर होता है वो भी बासी और उसमे किट नाशक मिलाया जाता है ताकि कोल्ड ड्रिंक सड़े नहीं,वो एक रु. का बासी पानी हम १०रु में पीते है क्योकि सेलेब्रिटी विज्ञापन में पीने को कहते है. इस के लिए कुछ हद तक हम जिम्मेदार है क्योकि भारत में ग्राहक जागरूकता की कमी है इस से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है के कंपनी और ग्राहक एक हो जाये तथा बीच के बिचोलियों को हटा दिया जाये और वो तरीका है कोई अच्छी मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी से जुड़ने का .मल्टी लेवल मार्केटिंग का इतिहास :लगभग ५० वर्ष पहले कनाडा में सुरु हुआ और सभी यूरोपीयन देशो में काफी सफल है तथा वह बड़ी बड़ी दिग्गज कंपनियों के प्रोडक्ट जैसे फोर्ड,कोकाकोला,बेल कोम्पुटर इत्यादि मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए बेचे जाते है तथा वहा के स्कूलों में मल्टी लेवल मार्केटिंग कम्पलसरी सब्जेक्ट होता है. इंडिया में एम.एल.एम. लगभा १० वर्ष पुराना है.इंडिया में एम.एल.एम. को शक कीनजरो से देखा जाता है क्योकि इन दस वर्षो में बहुत सी एम.एल.एम. कंपनीया कुकुरमुत्ते की तरह उगी और चली गयी कारण सिर्फ एक कंपनियों का ढगी रवैया तथा भारत के उपभोगता संस्कृति के प्रतिकूल वातावरण.बहुत मंहगे और अनावश्यक प्रोडक्ट एक आम भारतीय उपभोगता के किस काम के,उसे तो वो प्रोडक्ट चाहिए जो उसे देनिक काम में आते हो.तो फिर कोनसी एम.एल.एम. का चुनाव करे जो भारत के उपभोगता संस्कृति के अनुकूल हो तो आओ देखे अच्छी मल्टी लेवल मार्केटिंग(एम.एल.एम.) किसे कहते है?१.कंपनी का इतिहास:कंपनी का इतिहास पुराना होना चाहिए,उसके मालिको का इतिहास कैसा है उसकी मार्केट में क्या इज्जत है,कही कंपनी फर्जी तो नहीं है उसका हेड ऑफिस और उसकी ब्रांच कह्या कह्या है.२.कंपनी के प्रोडक्ट:कंपनी के क्या क्या प्रोडक्ट है,क्या उन्हें खुद बनाती है,क्या कंपनी के प्रोडक्ट एक आम भारतीय उपभोगता के काम के है,क्या कंपनी के प्रोडक्ट बाज़ार से बहुत मंहगे है? एक आम उपभोगता को चाहिए 10 से १५रु वाला साबुन,अगर उसे कहा जाये की ५०रु वाला साबुन उत्तम है और कम गलता है तो तो एक आम उपभोगता 10 से १५रु वाला साबुन ही खरीदेगा ५०रु वाला नहीं क्योकि यही उसकी संस्कृति है और यही उसकी जेब की हैसियत.कंपनी ऐसा प्रोडक्ट बनाये जो एक आम भारतीय उपभोगता के काम के हो और उसकी उसकी जेब की हैसियत के,हमारे घर में साइकिल तक नहीं और कंपनी कार लिक्विड क्लीनर बेचे इसमें तो कोई तुक नहीं.३.कंपनी के प्रोडक्ट की क्वालिटी: कंपनी के प्रोडक्ट की क्वालिटी उत्तम होनी चाहिए,कही ऐसा तो नहीं कंपनी खुद का या किसी दूसरी कंपनी का घटिया प्रोडक्ट थमा रही हो.४.कंपनी का खुद का प्रोडक्ट केटालोग :कंपनी का खुद का मेनुफकचरिंग केटालोग होना चाहिए तथा कंपनी खुद प्रोडक्ट बनानी चाहिए,अगर किसी कंपनी के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही है तो कंपनी उस प्रोडक्ट की क्वालिटी कण्ट्रोल को चेक करे ताकी ग्राहक को घटिया प्रोडक्ट नहीं मिले.५.कंपनी के साथ जुड़े हुए डिस्ट्रीबुटर की संख्या :एक अच्छी कंपनी के साथ बहुत सारे डिस्ट्रीबुटर धीरे धीरे और स्थाई रूप से जुडेंगे,यदि किसी कंपनी के साथ बहुत सारे डिस्ट्रीबुटर अचानक एक साथ जुड़ जाये या अचानक एक साथ छोड़ कर चले जाये तो कंपनी की विस्वसनीयता पर शक हो जाता है.क्योकि एक अच्छी कंपनी कभी भी लुभावने वादे लेकर नहीं आती,वह तो लेकर आती है काम और विश्वास.अगर डिस्ट्रीबुटर विश्वास के साथ काम करे तभी इन्कम आये तह बिना मेहनत कभी इन्कम न आये क्योकि सफलता हमेशा दर्द की कोख से जनम लेती है .६.कंपनी का पॉलिटिकल बकग्राउंड: कंपनी ऐसी हो की वहा की राज्य सरकार जिसके खिलाफ न हो,या वहा की किसी सरकार द्वारा उसपर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध या बेन (BAN ) नहीं लगाया गया हो.७.कंपनी के प्रोडक्ट की मांग : कही कंपनी ऐसा प्रोडक्ट तो नहीं बनाती जिसकी मार्केट में कोई डिमांड न हो,या उस देश की संस्कृति के अनुकूल न हो.यदि भारत में कोई कंपनी ऐसा प्रोडक्ट लाती है जैसे महँगी ताकत की दवाये,ब्लड प्रेशर ब्रासलेट,डायबिटीज़ की दवा,मंहगे क्लब की मेम्बरशिप,विदेश यात्रा पैकेज,वजन कम या बढ़ने की दवा इत्यादि तो आप मुझे बताये की भारत में कितने लोग इस तरह की कंपनी के प्रोडक्ट लेंगे.यहाँ तो ऐसी कंपनी चलेगी जो रोजमर्रा की चीजे जैसेकपडा,चाय,तेल,साबुन,शेम्पू,कॉस्मेटिक,लिक्विड क्लीनर,खाने कासामानजैसेबिस्कुट,नमकीन,मीठाई,गरम मसाला,चमड़े का सामान (जूते,बेल्ट,बैग,पर्स) रेडीमेड गारमेंट जैसे ( जींस,पेंट,शर्ट,टाई,टॉप,शूट,बनियान,अंडरगारमेंट),गर्म कपडे,इलेक्ट्रॉनिकआय़टम (घडी,कोम्पुटर ,लैपटॉप प्रिंटर) तथा जो कंपनी सर्विससेक्टरनभूले जैसेइंश्योरेंस,मोबाइल,बैंकिंग,ऑटोमोबाइल ,होसपीटल होटल्स,हाऊसिंग,होम अप्लाईनसेस,टीवी चेनल्स इत्यादि.अगर कोई कंपनी उपरोक्त सभी प्रोडक्ट या उनमे से बहुत सारे प्रोडक्ट की (M.L.M.) करती है तो निश्चित रूप से आनेवाले दिनों में सफल होगी .R.C.M. ही क्यों की जाये:अ़ब सवाल ये उठता है की कोनसी M.L.M.की जाये तथा R.C.M. ही क्यों की जाय,जवाब बिलकुल सीधा है उपरोक्त सभी सवालो का जवाब सिर्फ यही कंपनी दे सकती है,कंपनी १९७७ से कपडो के व्यवसाय में लीन है तथा सन २००० से मल्टी लेवल मार्केटिंग कर रही है तथा भारत की टॉप टेन(TEN) कपडा बनाने वाली कंपनी में से एक,तथा नमक से लेकर लैपटॉप तक सभी सामान एक ही दुकान में उपलब्ध,८० लाख से १ करोड़ के लगभग डिस्ट्रीबुटर,५००० RCM पीकअप सेंटर ,८०० RCM बाज़ार, भारत के २९ राज्यों ,९००० शहरो में बिज़नस,आनेवाले समय में RCM मेगा मार्ट खोलने की तैयारी,लगभग ७००० करोड़ की कंपनी,T.D.S.देने के मामले में RELIANCE के बाद नंबर दो पर,भारत की पहली कंपनी जिसने कभी किसी से LOAN नहीं लिया तथा भारत की पहली कर्ज रहित कंपनी.आज के युग में जहा बडी बडी नामी कंपनी BANK लोन लेकर व्यवसाय करती है वहा RCM बिना बैंक लोन लिए इतना विशाल व्यवसाय खडा करने में सफल हुई है .अगर आपकी मंजिल M.L.M. है तो आप के सवालो का जवाब है R.C.M.(RIGHT CONCEPT MARKETING) क्योकि यही मार्केटिंग करने का सही तरीका है

RCM BUSINESS SOME FACTS

RCM( RIGHT CONCEPT MARKETING) FASHION SUITINGS PVT।LTD।,BHILWARA(RAJASTHAN) FOUNDER: SHRI TILOK CHAND छाबरा 1977-ESTABLISHED FASHION SUITINGS PVT LTD AND STARTED TEXTILE BUSINESS। 1986-ESTABLISHED OWN TEXTILE MANUFACTURING UNIT। 2000-ACHIEVED PRODUCTION OF 1 CRORE METRE CLOTH PER ANNUM। 2000 AUG:CLOSED OLD SLM(SINGLE LEVEL MARKETING ) SYSTEM AND STARTED MULTI LEVEL MARKETING (MLM)। 2002:COMPANY BROGHT FMGC PRODUCTS IN THE MARKET UNDER RCM LOGO।TODAY SALT TO LAPTOP EVERT THING IS AVAILABLE IN RCM SHOP/BAZAR UNDER ONE ROOF। RCM: WORLD 1ST TEXTILE COMPANY ENGAGED IN MLM। RCM: AMONG TOP 10 TEXTILE MANUFACTURING CO।IN INDIA। RCM: PRESENT CAPACITY 3 CRORE METRE CLOTHS PER ANNUM।AND IN COMMING YEARS REACHING TOWARDS TOP OF THE TEN।र्क्म१DISTRIBUTORS,4000 RCM SHOPS,800 BAZARS,MORE THAN 600 PRODUCTS,STRONG BUSINESS NETWORK IN MORE THAN 9000 CITIES AND 29 STATES IN INDIA।RCM:MORE THAN ५ 000 CRORE COMPANY।RCM:ENGAGED IN SERVICE SECTORS SUCH AS ,TELECOMMUNICATIONSINSURANCE AND IN COMMING DAYS WILL ENTER IN PETROLEUM,EDUCATION,ELECTRONICS,HOTELS AND HOSPITALS,AUTOMOBILES,BANKING,HOUSING,TV।CHANNELS,HOME APPLIANCES,AIRLINES ETC।

MULTI LEVEL MARKETING(M.L.M.)MULTI LEVEL MARKETING(M.L.M.) का इंडिया में स्कोप: का इंडिया में स्कोप:

MULTI LEVEL MARKETING(M.L.M.) का इंडिया में स्कोप:मल्टी लेवल मार्केटिंग की शुरूवात सन १९५९ में कनाडा में हुई थी तथा तब से विदेशो में यह सिस्टम काफी लोकप्रिय हुआ है प्रतिशत के हिसाब से यह कितना विकसित है आओ देखे :देश M.L.M.का प्रतिशत अमेरिका 60%चीन 21% भारत 01% * सबसे कम भारत में यूरोप व अन्य देश 18% कुल 100% मल्टी लेवल मार्केटिंग का विकास सबसे अधिक अमेरिका में हुआ है वहां पर बड़ी बड़ी FAMOUS कंपनिया अपना प्रोडक्ट M.L.M. के जरिए बेचती है जैसे फोर्ड,कोकाकोला ,बेल कोम्पुटर इत्यादि वहां पर इसके स्कूल व कोलेज में कोर्सेस होते है भारत में यह ORGANISED INDUSTRIES का दर्जा हासिल नहीं कर पाई है तथा अभी भी लोग इसे शक की निगाह से देखते है उसका कारण है की बहुत सी fraud कंपनिया आयी और देश की जनता को ठग कर चली गयी इसलिए एक आम आदमी का अनुभव M.L.M. कंपनियों के प्रति खट्टा है,उसका कारण है देश में शिक्षा,प्रशिक्षण,जनजागरण का आभावअभी भी 100 में से सिर्फ 1 आदमी M.L.M. में सफल हो पाते वो भी सही ट्रेनिंग के बादइसका कारण है है M.L.M. में ज्वाइन करने के तरीके,आओ देखे:ज्वाइन करने का तरीका ज्वाइन करने का प्रतिशत BY OBLIGATION(दोस्त,रिश्तेदारों द्वारा): 30%BY FORCE (बॉस,अफसर,सरकारी अधिकारी द्वारा) : 25%BY MISGUIDENCE(गलत कांसेप्ट बताकर ) : 20%TO GIVE A TRY(या पीछा छुडाने ने के लिए) : 15%TO MAKE A SERIOUS CARREER : 10% *** (ये व्यक्ति सफल होंगे )TOTAL 100%जो व्यक्ति इसे सीरियस हो कर बिजनस करियर के रूप में ज्वाइन करेगा वही SUCCESS होगा M.L.M. में कामयाब होने के लिए क्या क्या योग्यता होनी चाहिए?१.आपके अंदर काम करने की BURNING DESIRE(मजबूत इरादे )होने चाहिए क्योकि मजबूत इरादों से ही ज़ंग जीती जाती है दुनिया की ऊँची से ऊँची चोटी इन्सान के इरादों से ऊँची नहीं है२.यह बिजनेस लोगो को तलाशने का नहीं तराशने का बिजनेस है. किसी को ये सोच कर JOIN न कराये की ये मुझे कामयाब बनाएगा बल्कि ये ये सोच कर JOIN कराये की मुझे इसको कामयाब बनाना है,क्योकि वो कामयाब होगा तो आप भी कामयाब होगे ३.स्वार्थ की भावना नहीं होनी चाहिए,लेने वाला नहीं देने वाला होना चाहिए तभी आदमी लीडर बनेगा ( HELPING OTHERS TO LIGHT THEIR FUTURE)4.सिस्टम के द्वारा बताये गए टूल्स जैसे टेप,सीडी,विडियो,बुक्स का प्रयोग रोज करे,सेमिनार,फंक्शन्स अटेंड करे५.बिज़नस के लिये थोडा सा वक़्त निकाले,अभी थोडा सा COMPROMISE करे बाद में जिंदगी में कोई COMPROMISE करना न पड़े थोडी थोडी कुर्बानी करके धीरुभाई अम्बानी ने ६५ हजार करोड़ रु का साम्राज्य (EMPIRE) खडा कर दिया६.सुरुवात आसान हो तो अंत ख़राब होता है,नरक के रास्ते आसान होते है पर स्वर्ग के रास्ते कठिन होते हैइस बिजनस को सुरु करने में सुरुवात में थोडी कठिनाई होती है पर बाद में सुख की अनुभति होती है७.'MAGIC WORDS'-SORRY,THANK YOU :जादुई शब्द सॉरी,थैंक्यू का प्रयोग करने में देरी न करे अगर समय रहते रावण ने सॉरी कहा होता तो रामायण नहीं होती और समय रहते दुर्योधन ने सॉरी कहा होता तो महाभारत नहीं होतीक्योकि तारीफ करेंगे तो क्वालिटी में बढोतरी होगी और निंदा करेंगे तो EGO(अहम् ) का जनम होगा और अहम् इस बिजनेस का शत्रु है८.जब जब कोई नया काम होता है तो जमाना उसपर हँसता है,आप लोगो के हँसने पर न जाये क्योकि जब जब जमाना हँसा है इतिहास रचा है९.SELF MOTIVATION:जब तक आप खुद को MOTIVATE नहीं करोगे तब दूसरो को MOTIVATE नहीं कर पाओगेएक दुबले पतले आदमी ने पुरे भारत को ऐसा MOTIVATE किया की अंग्रेजो को हिंदुस्तान से खदेड़ दिया जिसे आज हम महात्मा गाँधी के नाम से जानते हैअगर आप साहस करके LEAD करोगे तो लोग आपको अपने आप FOLLOW करेंगेएक अच्छा बीमा एजेंट एक अच्छा MOTIVATOR होता है10.समाज में एक अछी छवि(GOODWILL,IMAGE) बनाये,आपकी सच्चाई,ईमानदारी,निस्वार्थ स्वाभाव देखकर कोई आपके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ऐसे ही ज्वाइन कर लेगा११.लोगो को भरपूर प्यार व सम्मान देना है और विश्वास जगाना है और अच्छा रिलेशन BUILT करना हैक्योकि एक रिलेशन कई रिलेशन का बीज होता हैअपनी अच्छाई से लोगो की बुराई को ख़त्म कर सकते है यही LEADERSHIP की ताकत है११.हमेशा हँसमुख रहे क्योकि हँसमुख व्यक्ति लीडर बनता है और दुखी व्यक्ति कभी भी लीडर नहीं बन सकताहैकेवल काम करते रहे आपको सही व्यक्ति जरूर मिलेगा "YES THEY ARE RARE BUT THEY ARE"12.बड़ा सोचे(छोटी छोटी आंखे बड़े बड़े सपने):बड़ा सोचेंगे तो बड़ा बनेंगे और छोटा सोचेंगे तो छोटे होंगे,गरीब हमेशा गरीबी के बारे में सोचता है इसलिए गरीब होता है और अमीर हमेशा अमीरी के बारे में सोचता है इसलिएअमीर होता है. शेष शीघ्र ............................

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

सुविचार


*iमनुष्य का जीवन विचारों से ही चलता हैं। यदि विचार अच्छे हैं, तो जीवन अच्‍छा बनेगा। यदि विचार खराब हैं तो जीवन खराब हो जायेगा !!!
*उँची सफ़लता उन्हीं लोगों को मिलती है, जो खुद पर विश्‍वास करते हैं, कि हमारे अन्दर परिस्थितियों से कुछ अधिक ताकत है।
*बुद्‍धिमत्‍ता का अर्थ यह नहीं की गलतियाँ होंगी ही नहीं। बल्कि यह है की गलतियों को जल्दी ठीक कर लेंगे। सब से बुद्‍धिमान गलती नहीं करेगा।
*सफ़लता का सूत्र > छोटे से छोटा काम भी पूरी श्रद्‍धा, बुद्‍धि और लगन से करें, ईश्‍वर की कृपा से सफ़लता निश्‍चित मिलेगी।
*जीवन कोई समस्या नहीं है, कि इस को सूलझाय़ा जाये, बल्कि जीवन तो एक सच्‍चाई है, जिस को आनन्द से अनुभव करना चाहिये। आशावादी बनें।
* स्वर्ण हूँ तो क्या हुआ तपना पडेगा, हार बनाना हो तो फ़िर गलना पडेगा ।जिन्दगी तो हर घडी लेगी परीक्षा, जो न दे उस को यहाँ पिटना पडेगा ॥
*सफ़लता के ४ सूत्रः – १. ध्यान से सुनना। २. गहराई से विचार करना। ३. एक सही निर्णय लेना। ४. उस को आचरण में लाना। सफ़लता आपके कदम छुएगी।
*आपत्‍तियों में घबराना नहीं, बल्कि भगवान का धन्यवाद करना चाहिये, क्योंकि उसी समय में तो आप परिश्रम करके विकास कर पाते हैं।
* एक मिनीट हमारे जीवन को नहीं बदल सकता, लेकिन एक मिनीट में लिया गया निर्णय हमारे जीवन को बदल सकता है। खूब विचार करके निर्णय लें।
* उन्‍नति के लिये प्रतिदिन आत्म निरीक्षण करें > आज कौन सा अच्छा कार्य नहीं हो पाया जो करना चाहिये था। और कौन सा गलत हुआ जो नहीं करना था।
*कितना भाग्यवान होगा वह व्यक्‍ति जिस का साथी बुद्‍धिमान हो, उस को समझता हो, और उस के सब अच्छे कार्यों में सहयोग देता हो। भाग्यवान बनें।
*आप के पास धन इतना होना चाहिये, कि आप की मुख्य आवश्यकतायें पूरी हो जायें, आवश्यकतायें पूरी हो सकती हैं इच्छाएं पूरी नहीं हो सकती।
* यदि आप चाहते हैं, की लोग आप पर विश्‍वास करें, तो पहले आप उन को यह विश्‍वास दिलायें, की आप उन पर विश्‍वास करते हैं !!!
* "मैं सफ़ल तो हो ही जाऊँगा" ऐसा सोच कर आप उंचे लक्ष्य के लिये पूरी मेहनत नहीं करेंगे, और असफ़ल होने पर निराशा में आ जायेंगे।
*यदि आप जानकारी प्राप्‍त करना चाहते हैं, तो दिमाग में रोज कुछ डालें। यदि ज्ञान प्राप्‍त करना चाहते हैं, तो दिमाग से रोज कुछ (कचरा) निकालें।
*असफ़लताएं वह अवसर हैं, जो हमें सीखाती हैं की अगली बार कार्य को कैसे ठीक करना है। गलती कहाँ हुई और उसको कैसे दूर करें !!!!!
*असफ़लता आप के लिये वरदान है या अभिशाप? यह तो हर एक व्यक्‍ति का अपना दृष्टिकोण है। बुद्‍धिमान लोग इसको वरदान समझ कर आगे बढते हैं।
*यदि आप अपनी असफ़लताओं का परीक्षण करेंगे, तो उन्हीं में आप को कुछ ऐसे बीज मिलेंगे, जो आप की असफ़लताओं को सफ़लताओं में बदल देंगे !!!!!!
*असफ़लताओं की तुलना में हमेशा सफ़लताओं के साथ जीना अधिक कठिन है। जीवन में असफ़लताएं आना तो स्वाभाविक है। फ़िर घबराना क्या !!!!!!!!
*असफ़लता का RISK लिये विना कोई उंची वस्तु आज तक कभी किसी को मिली नहीं और न ही मिलेगी। इसलिये असफ़ल होने पर घबरायें नहीं।
*क्षणिक असफ़लता को पूर्ण असफ़लता न मान लेवें। व्यक्‍ति जीवन में अनेक बार असफ़ल होकर भी पूर्ण असफ़लता से बहुत दूर हो सकता है।
*२ मुख्य कारणों से जीवन में असफ़लता मिलती है। १- जब हम विना सोचे कार्य करते हैं। २- जब हम सोचते ही रहते हैं, और कार्य नहीं करते।
*किया हुआ कर्म कभी निष्फ़ल नहीं होता, और सदा तुरन्त भी फ़ल नहीं मिलता। इसलिये अज्ञानी लोग पाप करने से नहीं डरते। पाप करने से डरो।
*उत्‍तम विचार यूँ ही नहीं आ जाते, उन के लिये गम्भीर चिन्तन चाहिये। जैसे बच्‍चों का निर्माण यूँ ही नहीं हो जाता, उस के लिये घोर परिश्रम चाहिये।
*पुरुषार्थियों के जीवन में कभी कमी नहीं रहती है, यदि कभी कुछ कमी आ भी जाये, तो वे लोग फ़िर मेहनत करके कुछ अधिक ही पा लेते हैं।
*उत्‍तम भविष्य ऐसी वस्तु नहीं है, जिस की आप को प्रतिक्षा करनी पडे। अपने भविष्य के निर्माता आप स्वयं हैं। मेहनत कीजिये > भविष्य बनाईये।
*वृद्‍धावस्था में ज्ञान के कारण सम्मान मिलता है। परन्तु यदि वृद्‍ध व्यक्‍ति में ज्ञान न हो तो वह वृद्‍धावस्था केवल बाल सफ़ेद ही करती है।
*"सीडीयाँ उन के लिये बनी हैं, जिन्हे सिर्फ़ छत पर जाना है।आसमाँ पर हो जिनकी नजर, उन्हें तो रास्ता खुद बनाना है” ॥
*अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव, दोनों चाहियें। अच्छे हृदय से कई रिश्तें बनेंगे, और अच्छे स्वभाव से वे रिश्‍ते जीवन भर टिकेंगे।
*सब कुछ आसान है, यदि आप पुरुषार्थी हैं। सब कुछ कठिन है, यदि आप आलसी हैं। कृपया पुरुषार्थी बनें, आलसी नहीं।
*१. हजारों मील की लंबी यात्रा केवल १ कदम से शुरू होती है। अपनी जीवन यात्रा को शुरु करने के लिये कम से कम १ कदम तो बढायें !!!!!
*२. कला हमें उच्‍च स्तर पर ले जायेगी। परन्तु उत्‍तम चरित्र ही हमें उस उच्‍च स्तर पर टिकाये रखेगा। कृपया अपना चरित्र उत्‍तम बनायें।
*अपने जीवन को कष्टमय और तनावयुक्‍त बनाने का सबसे बडा कारण है > दूसरों से ऐसी आशाएं रखना कि – वे आप की इच्छानुसार सब कार्य करेंगे।
*जिन परिस्थितियों को आप पसन्द नहीं करते, उन में आप कैसा व्यवहार करते हैं? उस से आप की योग्यता की परीक्षा हो जायेगी, आप कहाँ खडे हैं?
*जो सीखना छोड देता है, वह वृद्‍ध हो गया है, चाहे वह २० वर्ष का हो या ८० का। सीखते रहने की प्रवृत्‍ति आप को जवान बनाये रखेगी।
*एक छोटा सा छिद्र पानी की पूरी बालटी को खाली कर देता है, ऐसे ही थोडा सा अभिमान एक उत्‍तम हृदय की सारी उत्‍तमता को नष्ट कर देता है।
*जीवन में हर चीजें नाशवान है, यदि सुख मिल रहा है, तो ठीक है। यदि दुःख भी मिल रहा है, तो वह भी सदा रहने वाला नहीं है।
*जो लोग वचन देने में देर लगते हैं, वे वचन का पालन करने में विश्‍वास करने के योग्य होते हैं। जल्दी वचन न दें, देना तो पूरा करें।
*जो व्यक्‍ति बहानें बनाकर पीछे नहीं लौटता, कठिनाइयों से पूरा संघर्ष करता है, सफ़लता उसके कदम चुमती है। सफ़ल बनें।
* "चुनौतियाँ" जीवन को रुचिकर बनाती हैं, और उन पर "विजय" जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है। जीवन के कठिन निर्णय बुद्‍धिपूर्वक लेवें।
*अपने आप से केवल एक ही प्रश्‍न पूँछें > "सफ़लता प्राप्‍त करने के लिये त्याग और तप करने को क्या आप तैय्यार हैं ?" यदि हाँ, तो सफ़लता निश्‍चित है।
* यदि आप जीवन में कुछ विशेष परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो कुछ विशेष कार्य करें। क्या ? दूसरों को सुख देने का अभ्यास बनायें।
*जो लोग यह कहते हैं, कि “यह कार्य कभी नहीं हो सकता”। वास्तव में या तो वे आलसी हैं, या उनके कार्य में किसी ने बाधा डाली है।
*दुराभिमानी लोगों की १ विशेषता > वे दूसरों की प्रसन्‍न कभी नहीं करतें। नम्र लोगों की १ खूबी > वे दूसरों की निन्दा कभी नहीं करतें।
*जीवन में २ रास्तें हैं। १ - या तो परिस्थितियों के साथ चलो, और खुश रहो। २ - या परिस्थितियों को बदलने की जिम्मेदारी लो। शिकायत मत करो !!!!!
*आप के चरित्र की सही पऱीक्षा तब होती है, जब यह पता चले कि - आप उन लोगों के लिये क्या करते हैं, जो आपके लिये कुछ भी नहीं कार सकते।
*आप को प्रसन्‍न रहने की आदत स्वयं ही बनानी होगी। कोई दूसरा आप को सुख नहीं दे सकता। आप की मेहनत कोई दूसरा नहीं कर सकता। स्वयं सुखी बनें।
* जीवन उन के लिये मूल्यवान नहीं है, जो दूसरों के सुख में हिस्सेदार बनते हैं। बल्कि उन के लिये है, जो दूसरों के दुःख में उन का साथ देते हैं।
*सामान्य स्थितियों से गुजरना कोई बडी बात नहीं है। कलाकारी तो तब है, जब आप कठिन परिस्थितियों में से सकुशल बाहार आ जायें।
*अपनी मेहनत से प्राप्‍त संपत्‍ति से जो सुख मिलता है, वह दूसरों की मेहनत से कमाई संपत्‍ति का भोग करने से कभी नहीं। स्वयं मेहनत करें।
*केवल स्वप्‍न देख देख कर लम्बा जीने से अच्छा है, कम जीकर कुछ इतिहास बनाना। भले ही कम जीयें, परन्तु कुछ इतिहास अवश्य बनायें।
*"अभ्यास" व्यक्‍ति को "कुशल" नहीं बनाता। बल्कि "सही अभ्यास" व्यक्‍ति को "कुशल" बनाता है। सही चीजों का अभ्यास करें, गलत का नहीं।
*बीती दुःखदायक बातों को याद करने से दुःख बढता हैं, उनको याद न करें। बीती अच्छी घटनाओं को याद करके उनसे प्रेरणा लेकर उत्साही बनें।
*जिससे आप प्रेम करते हैं, उसको दुःख न देवें, दुःख देने में कुछ ही क्षण लगेंगे, लेकीन उसका प्रेम वापस प्राप्‍त करने में कई वर्ष लग जायेंगे।
*एक छोटी यात्रा भी आप के लिए कठिन होगी, जब आप यात्रा में अकेले होंगे। एक लम्बी यात्रा भी आप के लिए आसान होगी, जब कोई साथी आप के साथ होगा।
* आश्‍चर्य > जब कोई हमारे दिल में प्रवेश करता हैं, तो दिल हलका लगता हैं। और जब कोई हमारे दिल को छोड देता हैं, तो यह भारी हो जाता हैं।
*भगवान् ने आपकी सभी इच्छित वस्तुएं नहीं दीं, परन्तु आवश्यक वस्तुएं तो सब की सब दीं। इसलिये भगवान् का धन्यवाद अवश्य करें।
*जब आप दुःखी होते हैं, तो दूसरों से प्रेम चाहते हैं। जब दुसरे दुःखी होते हैं, क्या तब आप दूसरों को अपना प्रेम बांटते हैं? हैं न आश्‍चर्य!
*उन्‍नति की जाँच करने का सही तरिका हैं “तुलना”। यह तुलना दूसरों से नहीं करनी, बल्कि अपने ही बीते कल के दिन से, आज के दिन की करें !!!!!
*अपनी समस्याओं के बारे में दूसरों से शिकायत न करें, आधे से अधिक समस्याएं आपने स्वयं उत्पन्‍न की हैं। आत्म निरीक्षण से उन्हें दूर करें।
*प्रत्येक चुनौतियों को जीत लेने पर आप कुछ और मजबूत, अधिक अनुभवी और अधिक तैय्यार हो जाते हैं, अपनी बाकी जीवन यात्रा को पूरा करने के लिये।
*जो गलतियाँ कर चुके हैं, उनका तो दण्ड भोगना ही पडेगा। कम से कम इतना तो संकल्प कर ही सकते हैं, कि अब और गलतियाँ नहीं करेंगे।
*अपनी तुलना किसी भी व्यक्‍ति से न करें, यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप अपना ही अपमान कर रहे हैं। संसार में हर व्यक्‍ति स्पेशल = अलग ही हैं।
*दूसरों के गुण देखें। यदि आप सब में ही दोष देखेंगे, तो किसी के भी साथ नहीं रह पायेंगे। जिनके साथ रहते हैं, उनके गुण देखें दोष नहीं।
*४ पर हमेशा विश्‍वास रखें। माता, पिता, सच्‍चें गुरु और ईश्‍वर। ये कभी दुःख नहीं देंगे। जो इन की बात नहीं मानेगा, वह ज़रूर दुःखी होगा।
* ४ चीजें कभी न तोडे = विश्‍वास, वचन, सम्बन्ध और दिल। जब ये चीजें टूटती हैं, तो आवाज़ तो नहीं आता, लेकिन कष्ट बहुत होता हैं। किसी से प्रेम करना हो तो दिल से करो, सिर्फ़ ज़ुबान से नहीं। किसी पर गुस्सा करना हो तो सिर्फ़ ज़ुबान से करो, दिल से नहीं। सुखी रहोगे।
* बुरा समाचार > समय उडता हुआ भागा जा रहा हैं। अच्‍छा समाचार > पायलट आप हैं। जिधर चाहें, उधर ही समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
*सभी पर विश्‍वास करना खतरनाक हैं। किसी पर भी विश्‍वास न करना उससे भी अधिक खतरनाक हैं। खुद पर और ईश्‍वर पर अवश्य विश्‍वास करें।
* हर व्यक्‍ति सारी दुनियाँ को बदल देना चाहता हैं, परन्तु अपने आप को कोई बदलाना नहीं चाहता। अपने आप को बदलने से ही सुख मिलेगा।
*"हमेशा FIRST आना" ही जीतने का अर्थ नहीं हैं, जीतने का यह भी तो अर्थ हैं, कि अब आप "पहले से अधिक अच्छ काम करने लगे हैं।"
*प्रेम करना सीखें > यदि हम दिखने वाले व्यक्‍ति से प्रेम नहीं कर सकते, उससे घृणा करते हैं, तो न दिखने वाले ईश्‍वर से कैसे प्रेम कर पायेंगे?

शनिवार, 20 अगस्त 2011

जीवन क्या है ?




ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए, ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,
कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए, उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए, मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए, उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए, अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ, सी .आर .आर .सी .एम .

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

इतिहास गवाह है

जय आर सी एम्, दोस्तों ! दोस्तों, किसी भी काम को करने से पहले हमें 4 बातों का जानना जरुरी होता है। क्या है? क्या दे सकता हें ? क्यों करें ? कैसे करें ? तो अब हम बात कर रहें हैं की आर सी एम् "क्या है" के लिए पड़ें RCM PLAN इसी ब्लाग पर। क्या दे सकता है के लिए पढें निर्णय आपका इसी ब्लॉग पर। क्यों करें की हम बात करेंगें दोस्तों, इतिहास गवाह है, बड़े बुजुर्गों से सुना भी है की जब लोगो की इनकम के ये आंकडे चलते आए और अब देख भी रहे हैं :

सन्
जीवन शैली
इनकम
जीवन शैली
1940
5/-
बहुत अच्छा सा सरकारी
50/-
मौज करते थे
1960
50/-
बहुत अच्छा नहीं था
500/-
मौज करते थे
1980
500/-
वो तंग थे
5000/-
मौज करते थे
2000
5000/-
वो भी तंगी में थे
50000/-
मौज करते थे
सावधान
सावधान
!! सावधान !!
सावधान
सावधान
सन् ,2020,......भी आने वाला है, तब 50000/=रूपये महीने की जिसकी इनकम होगी वों दाल रोटी खायेगा और 500000/=रूपये {पांच लाख रूपये महिना जिसकी इनकम होगी वों मौज करेगा अब देखें की हर 20. साल के बाद एक 0 लगी है इस O की रफ्तार को पहचानने की जरुरत है

सरकारी नौकरी में प्रमोसन कितनी होगी चेक करें
प्राइवेट नौकरी में प्रमोसन कितनी होगी चेक करें .
अपना बिज़नस कैसा है चेक करें .
इतनी बड़ी इनकम केवल और केवल कोई नेटवर्क ही दे सकता हैक्योँ की : अमीर बनने के दो ही रास्ते हैं : 01.आप के पास बहुत सारा पैसा हो और आप कोई कम्पनी लगाइए और लोग आप के लिए काम करें . 02.RCM में आप एक नेटवर्क तैयार करें और उनके साथ मिल कर उनके और अपने सपने साकार करें क्योकि पैसा अमीर आदमी के लिए काम करता है, और आम आदमी पैसे के लिए काम करता हँ। दोस्तों आर सी एम् की ताकत को पहचानो और उस धरती के लाल टी सी छाबडा जी का धन्यवाद करो जिसने कई हजार करोड़ रूपये आप के लिए लगा दिए हैं आप पर विश्वाश करके। अब हमारा काम बचा ही कितना हँ ,केवल नेटवर्क तैयार करना और अपना और अपने बच्चों के सपने साकार करना। अगर ये भी नहीं होता है तो ना करें RCM और आने वाले समय का इंतजार करें और 0 की रफ्तार में बह जाने के लिए तैयार रहें ।

कामयाबी का असली रहस्य

आपकी चाहत :
* क्या आप कामयाब होना चाहते हैं।
* क्या आप बहुत पैसा कमाना चाहते हैं।
* क्या आप नाम कमाना चाहते है।
* क्या आप अपने व्यवसाय में ऊँचाइयों पर पहुंचना चाहते हैं।
* आप मधुर सम्बन्ध बनाना चाहते हैं। प्यार पाना चाहते है।
* मानसिक शांति, शारारिक स्वास्थ्य चाहते हैं।
* या किसी लाइलाज बिमारी से छुटकारा। आप जीवन में क्या चाहते हैं! आपकी चाहत क्या हैं! विश्व के दिग्ग्ज्ज जिन्होंने पुरे विश्व को इन सभी सवालों को समाधान दिए नए आयाम दिए - आपके सवालों के, और चाहत को पाने के रास्ते डॉ प्रवीण शर्मा के अथक प्रयासों द्वारा इन लोगों द्वारा दिए जायेंगे।

आदतें भविष्य निर्माता

क्या आप जानते है की हमारी आदतें हमारे आने वाले भविष्य की निर्माता होती हैं। तथ्य पर गौर करें तो पाएंगे की आदतें ही मनुष्य का निर्माण करती हैं। हमें अपनी आदतों को बदलना होगा। यह इतना आसान नही है किंतु साहसी लोग इस काम को बखूबी अंजाम देतें है। क्योकि बी.सी.जी कहते है की आदतों को ना बदलने की भी हमारी आदत बनी हुई है। आप कामयाब हो सकते है यदि आप अपनी आदत बना ले की हमें RCM के अलावा और कोई प्रोडक्ट इस्तेमाल नही करना, RCM के दो प्लान रोज दिखाने है, पिछले लोगो को फोलो-उप करना है, रोज एक सी डी या टेप सुननी है, सेमीनार मीटिंग में ज्यादा से ज्यादा जाना है, पूरे ड्रेस कोड में रहना है, आदि, एक कहानी मुझे हमेशा मोटिवेट करती है..... एक बार के ग्वाला अपनी गाय के नन्हे बछडे को अपनी गोद में उठा कर रोज तालाब पर स्नान कराने ले जाता था, जब वह बछडा छोटा था तब तो कोई परवाह नही करता था, किंतु धीरे-धीरे जब बछडा बड़ा होकर पुरा बैल बन गया तो भी ग्वाला उसको गोद में उठा कर तालाब पर स्नान कराने ले जाता, लोग उसकी तरफ आँखें फाड़ फाड़ कर देखते थे और हैरान हो जाते की दुबला पतला ग्वाला इस बैल को गोद में कैसे उठा लेता है? दोस्तों इसका राज जानते है क्या था ? उस ग्वाले को बछडा गोद में उठा कर ले जाने की आदत हो गई थी अतः उसे पता ही नही चला की कब बछडा बड़ा होकर बैल बन गया और उसे महसूस ही नही हुआ। दोस्तों RCM बिज़नस में कामयाबी के लिए हमारी ऐसी ही आदतें हमें डालनी होंगी - नो इफ नो बट केवल कर्म। किसी को पता ही नही चलेगा और आपकी पूरे हिन्दुस्तान में जय-जयकार हो जायेगी।

आप अपने समय और सामर्थ्य का उपयोग किस प्रकार करते हैं?

यदि आप रोज़ शाम को टीवी पर ख़बरों में बढ़ते अपराध और बिगड़ते हालात को देखकर यह अफसोस करते रहते हैं कि दुनिया रसातल में जा रही है तो आप चिंता के वर्तुल में भ्रमण कर रहे हैं. इसके विपरीत यदि आप प्रभाव क्षेत्र में हैं तो आप ऐसे सकारात्मक प्रयास करते हैं जिनसे लोगों में जागरूकता आये. आप नए विचारों के साथ आगे आते हैं, लोगों को उनकी योग्यताओं और शक्तियों का अहसास कराते हैं, और उनका मार्गदर्शन करते हैं ताकि अधिकाधिक लोगों के जीवन में सुधार आये.
मैं कई लोगों के बीच में वार्ता करने से झिझकता था क्योंकि मेरे भीतर यह भय व्याप्त था कि मैं कुछ भी ठीक से नहीं कह पाऊंगा और सभी मुझे मूर्ख समझेंगे. मैं इतना संकोची था कि किसी गोष्ठी में कुछ पूछने के लिए या अपने विचार रखने के लिए हाथ उठाने से भी हिचकिचाता था. यदि मैं कुछ पूछता भी तो मेरा दिल बेतहाशा धड़कने लगता और मैं खुद से यह पूछता रहता कि मैं कोई बेवकूफी भरा सवाल तो नहीं पूछ रहा हूँ! मैं हमेशा चिंताओं के क्षेत्र में ही फंसा रहता था. किसी तरह मैं उसमें से निकलकर प्रभाव क्षेत्र में जा सका. ऐसा करने के लिए मुझे पब्लिक स्पीकिंग कोचिंग से बड़ी मदद मिली. अपने चिंता क्षेत्र से बाहर निकले बिना मैं लोगों के सामने बिना किसी तैयारी के भाषण देने के बारे में सोच भी नहीं सकता था.
अब मैं आपको यह बताता हूँ कि वे कौन सी बातें (चिंता का क्षेत्र) हैं जिनके बारे में लोग बड़ी चिंता करते हैं. उसके ठीक बाद मैं उन उपायों (प्रभाव क्षेत्र) को इंगित करूंगा जो खराब दशाओं में सुधार ला सकते हैं:
पर्यावरण/प्रदूषण - रिसाइकल करें. कम उपयोग करें. आवश्यकताएं घटाएं.आय-व्यय/घरेलू खर्च - आमदनी बढ़ाएं. खर्चे कम करें. छोटी-छोटी बचत करें.स्वास्थ्य - व्यायाम करें. पैदल चलें.अकेलापन/अवसाद - अपने मेलजोल का दायरा बढ़ाएं. खुशमिजाज़ बनें.भविष्य - टाइम मशीन बनाएं.
जब भी आप किसी मसले पर काम करें तो खुद से यह ज़रूर पूछें, "मैं इस स्थिति में किस प्रकार सुधार ला सकता हूँ? मैं इसे बेहतर कैसे बना सकता हूँ?"
कुछ नए विचार एकत्र करें और उनपर कार्रवाई शुरू कर दें. यदि आप कुछ नहीं सोच पा रहे हों तो यह अवश्य अनुभव करें कि किसी समस्या के बारे में चिंता करना केवल अपने समय और शक्तियों की बर्बादी है. फिर अपने संसाधनों को उस दिशा में मोड़ दें जहां आप वाकई कुछ करके दिखा सकते हों.

जीवन का सत्य




अच्छा सुनकर उसे अपनाओ नही तो सुनने और नही सुनने में कोई अन्तर नही !जीवन में ज्यादा से ज्यादा अच्छे विचार रखना उतना ही महत्वपूर्ण है , जितना उनका आदान प्रदान है ! यदि अच्छे विचारों में किसी को भागीदारी नही बनायेंगें , जीवन में उनका उपयोग नही करेंगे तो वे सब व्यर्थ चले जायेंगे !दूसरो की तारीफ़ करना बहुत अच्छी बात है , पर कुछ ऐसा करना की दूसरे आपकी तारीफ़ करे , उससे भी अच्छी बात है ! छाजू आर सी एम

बुधवार, 17 अगस्त 2011

सपने देखने वाले पांच किसम के लोग होते है

इस दुनिया में सपने देखने वाले पांच किस्म के लोग होतें है१.स्वप्नदर्शी जो अतीत के सपने देखते है२.स्वप्नदर्शी जो केवल छोटे सपने देखते है३.स्वप्नदर्शी जिन्होंने अपने सपने हासिल कर लिए है और नया सपना नहीं बनाया है४.स्वप्नदर्शी जो बड़े सपने देखते तो है पर उन्हें हासिल करने की योजना नहीं बनाते५. स्वप्नदर्शी जो बड़े सपने देखते है,उन सपनो को हासिल कर लेते है और फिर और बड़े सपने देखने लगते है रोबोर्ट कियोसाकी

रविवार, 14 अगस्त 2011

सतीश जी के १० वाक्य अमर







1) यदि आप सिर्फ अपने हीं सीखते रहेंगे तो आप विद्वान (WISE MAN) बन सकते हैं लेकिन यदि आप दूसरे को सिखाएँगे तो आप आमिर (RICH)बन जाएँगे

2) भूलकर भी हमें इन तीन वर्जित विषयों पर बहस नहीं करनी चाहिए :सेक्स ,धर्म और राजनीत (SEX , RELIGION , POLITICS ) .(MIND YOUR OWN BUSINESS DO NOT TRY TO BE SOCIAL REFORMER)

3) नेटवर्क बिजनेस दिल का है, दिमाग का नहीं ,यह बिजनेश प्यार का है तर्क का नही ,यह बिजनेश सुंदर सम्बन्धों का है जोर- जबरजस्ती का नहीं क्योंकि इस बिजनेश में प्रतेक व्यक्ति अपना I.B.O. स्वयं है (YOU ARE THE INDEPENDENT BUSINESS OWNER OF YOUR BUSINESS )

4) नेटवर्क बिजनेश में सफल होने के लिए एक हीं काम करना है :सकरात्मक नजरिया ,अटूट विश्वास और श्रद्धा (POSITIVE ATTITUDE,TRUST AND LOVE) के साथ लगातार लगे (CONTINUOUS) रहना है कभी करना कभी छोड़ देना इस बिजनेश का कैंसर(CANCER :FATAL DISEASE ) है

5) नेटवर्क बिजनेश में अपने लिए शुरू में जरुर काम करना पड़ता है लेकिन बाद में अपने डाउन लाइन और अप लाइन के लिए कम करना पड़ता है दूसरे शब्दों में आप दूसरे की मदद करें परमात्मा आप की मदद खूद करेगा(YOU HELP OTHERS, GOD WILL HELP YOU )

6) नेटवर्क बिजनेश में काम करते वक्त जब जिश्म (BODY) थक जाए और रूह (SOUL) कंप जाए फिर भी लगे रहें ,इसको कहते हैं कठिन मेहनत (HARD WORK / EXTRA MILE) और नेटवर्क बिजनेश में ऐसे हीं लोगों को कामयाबी मिलती है इसी लिए मैं कहता हूँ “कामयाबी दर्द की कोख से पैदा होती है

7) जो लोग आज इस सेमिनार हौल(SEMINAR HALL) में है ,उनकी कामयाबी निश्चित है , और जो लोग बाहर प्लान दिखने नें व्यस्त हैं उनमे देर लग जाएगी इस बिजिनेश की आत्मा(SOUL ) है एजुकेसन :बुक टेप और फंक्शन ( B T F ): बुक डेली 20 मिनट्स ,वन टेप डेली ,कम से कम एक फंक्सन प्रतेक माह

8 ) किसी को भी मार्केटिन प्लान बोल कर नहीं बताना है बल्कि पेपर पर हीं लिख कर दिक्काना है क्योंकि (PEOPLE ALWAYS UNDERSTAND FIGURES NOT FACTS )

9) मार्केटिंग प्लान दिखाते वक्त हमेशा इस बात का ख्याल रखना है किप्लान को मात्र दिखाना है ,बताना या समझाना नहीं है यह मात्र इन्फोर्मसं शेयरिंग (INFORMATION SHARING ) सेसन होता है यह उस व्यक्ति का प्रथम लेवल का इंटरविउ (FIRST LEVEL INTERVIEW) होता है कि वह व्यक्ति इस तरह कि एक्टिविटी (ACTIVITIES) में सामिल होना चाहता है या नहीं (SHOW THE PLANE DO NOT CONVINCE THE PLANE .समझाने वाला दूसरा सेसन फोलो उप (FOLLOW UP) है आपको फोलो उप हमेशा अपने सिनिर उप लाइन के साथ करना है क्योंकि 90%रिजल्ट फोलो अप से आएगा नकि (STP)

10) पुराने जमाने में सफलता के सात सूत्र बताए जाते थे लेकिन आज सफलता का एक हीं सूत्र है सकरात्मक नजरिया (POSITIVE ATTITUDE) )यानि प्रतेक चीज में आपको अच्छाई को ढूंढ लेना है आपको हर चीज को अच्छा -अच्छा कहना होगा चाहे आपका अप लाइन हो या डाउन लाइन हो या आपका क्रोस लाइन हो या कोई दूसरे ग्रुप का हीं क्यों न हो यहाँ तक कि कम्पनी का मैनेजमेंट सिस्टम हो सकता है, कम्पनी का प्रोडक्ट हो सकता है
आप जानते हैं कि आकर्षण के सिधांत (LOW OF ATTRACTION) के अनुसार जो भी आप बोलते हैं या सोंचते हैं उसकी FREQUENCY होती है जो इस ब्रम्हांड (UNIVERSE) में RADIATE हो जाती है और उसी तरह कि अन्य फिरिक्वेंसियों (SIMILAR FREQUENCIES) को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है