बुधवार, 24 अगस्त 2011

मल्टी लेवल मार्केटिंग क्या है? आर सी एम ही क्यों?

मल्टी लेवल मार्केटिंग क्या है? आर सी एम ही क्यों?मल्टी लेवल मार्केटिंग की सुरुवात कनाडा में १९५९ हुई, एम.एल.एम. का मतलब है की कोई भी प्रोडक्ट जोकंपनी बनाती है वो सीधाकंजूमर के पास पहूँचता है जिसमे कोई बिचोलिया जैसे स्टॉकिस्ट, व्होलसेलर,रिटेलर इत्यादी नहीं होता तथा कंपनी से प्रोडक्ट मार्केट भाव से ३०% से ५०% सस्ता मिलता है तथा उसमे कोई मिलावट नहीं हो सकती क्योकि बीच में कोई बिचोलिया नहीं होता तथा कंपनी के गोदाम से सीधा माल ग्राहक के पास आता है तथा कंपनी के विज्ञापनकर्ता आप खुद है इसलिए कंपनी आपको ३०% से ४०% कमीशन के रूप में डिस्ट्रीबुट करती है. आप एक उदहारण देखे के एक कंपनी १ किलो चाय २००रु. में बेच सकती है लेकिन उसके खरीददार कम है तो कंपनी क्या करेगी किसी क्रिकेट खिलाडी,फिल्म हीरो,हेरोइन से उसका विज्ञापन मीडिया जैसे टीवी न्यूजपेपर में करवाएगी जिसे देखकर दर्शक/ग्राहक ये मान लेता है ये विज्ञापन सही है और २००रु. किलो की चाय २५०रु. से ३००रु.किलो दे कर खरीद लेता है जिसमे ३०% से ४०% कीमत विज्ञापन की भी चुकाता है आप में से बहुत से लोग ये नहीं जानते की एक विज्ञापन करने का ये सेलेब्रिटी कई करोड़ रु. लेते है जिसका बोझ सीधा हमारी जेब पर पड़ता है अगर अनुमान लगाया जाये तो एक आदमी जो कम से वेतन पाता है अपनी पूरी जीन्दगी की ३०% से ४०% कमाई लगभग २० से २५ लाख रु विज्ञापन का चूकाता है जिसका उसे पता ही नहीं चलता तथा हमें सहज ही इसका विश्वास ही नहीं होता.आप एक उदहारण देखे के एक कोल्ड ड्रिंक की बोटल की लागत सिर्फ १रु पड़ती है क्योकि उसमे सिर्फ जीरा वाटर होता है वो भी बासी और उसमे किट नाशक मिलाया जाता है ताकि कोल्ड ड्रिंक सड़े नहीं,वो एक रु. का बासी पानी हम १०रु में पीते है क्योकि सेलेब्रिटी विज्ञापन में पीने को कहते है. इस के लिए कुछ हद तक हम जिम्मेदार है क्योकि भारत में ग्राहक जागरूकता की कमी है इस से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है के कंपनी और ग्राहक एक हो जाये तथा बीच के बिचोलियों को हटा दिया जाये और वो तरीका है कोई अच्छी मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी से जुड़ने का .मल्टी लेवल मार्केटिंग का इतिहास :लगभग ५० वर्ष पहले कनाडा में सुरु हुआ और सभी यूरोपीयन देशो में काफी सफल है तथा वह बड़ी बड़ी दिग्गज कंपनियों के प्रोडक्ट जैसे फोर्ड,कोकाकोला,बेल कोम्पुटर इत्यादि मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए बेचे जाते है तथा वहा के स्कूलों में मल्टी लेवल मार्केटिंग कम्पलसरी सब्जेक्ट होता है. इंडिया में एम.एल.एम. लगभा १० वर्ष पुराना है.इंडिया में एम.एल.एम. को शक कीनजरो से देखा जाता है क्योकि इन दस वर्षो में बहुत सी एम.एल.एम. कंपनीया कुकुरमुत्ते की तरह उगी और चली गयी कारण सिर्फ एक कंपनियों का ढगी रवैया तथा भारत के उपभोगता संस्कृति के प्रतिकूल वातावरण.बहुत मंहगे और अनावश्यक प्रोडक्ट एक आम भारतीय उपभोगता के किस काम के,उसे तो वो प्रोडक्ट चाहिए जो उसे देनिक काम में आते हो.तो फिर कोनसी एम.एल.एम. का चुनाव करे जो भारत के उपभोगता संस्कृति के अनुकूल हो तो आओ देखे अच्छी मल्टी लेवल मार्केटिंग(एम.एल.एम.) किसे कहते है?१.कंपनी का इतिहास:कंपनी का इतिहास पुराना होना चाहिए,उसके मालिको का इतिहास कैसा है उसकी मार्केट में क्या इज्जत है,कही कंपनी फर्जी तो नहीं है उसका हेड ऑफिस और उसकी ब्रांच कह्या कह्या है.२.कंपनी के प्रोडक्ट:कंपनी के क्या क्या प्रोडक्ट है,क्या उन्हें खुद बनाती है,क्या कंपनी के प्रोडक्ट एक आम भारतीय उपभोगता के काम के है,क्या कंपनी के प्रोडक्ट बाज़ार से बहुत मंहगे है? एक आम उपभोगता को चाहिए 10 से १५रु वाला साबुन,अगर उसे कहा जाये की ५०रु वाला साबुन उत्तम है और कम गलता है तो तो एक आम उपभोगता 10 से १५रु वाला साबुन ही खरीदेगा ५०रु वाला नहीं क्योकि यही उसकी संस्कृति है और यही उसकी जेब की हैसियत.कंपनी ऐसा प्रोडक्ट बनाये जो एक आम भारतीय उपभोगता के काम के हो और उसकी उसकी जेब की हैसियत के,हमारे घर में साइकिल तक नहीं और कंपनी कार लिक्विड क्लीनर बेचे इसमें तो कोई तुक नहीं.३.कंपनी के प्रोडक्ट की क्वालिटी: कंपनी के प्रोडक्ट की क्वालिटी उत्तम होनी चाहिए,कही ऐसा तो नहीं कंपनी खुद का या किसी दूसरी कंपनी का घटिया प्रोडक्ट थमा रही हो.४.कंपनी का खुद का प्रोडक्ट केटालोग :कंपनी का खुद का मेनुफकचरिंग केटालोग होना चाहिए तथा कंपनी खुद प्रोडक्ट बनानी चाहिए,अगर किसी कंपनी के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही है तो कंपनी उस प्रोडक्ट की क्वालिटी कण्ट्रोल को चेक करे ताकी ग्राहक को घटिया प्रोडक्ट नहीं मिले.५.कंपनी के साथ जुड़े हुए डिस्ट्रीबुटर की संख्या :एक अच्छी कंपनी के साथ बहुत सारे डिस्ट्रीबुटर धीरे धीरे और स्थाई रूप से जुडेंगे,यदि किसी कंपनी के साथ बहुत सारे डिस्ट्रीबुटर अचानक एक साथ जुड़ जाये या अचानक एक साथ छोड़ कर चले जाये तो कंपनी की विस्वसनीयता पर शक हो जाता है.क्योकि एक अच्छी कंपनी कभी भी लुभावने वादे लेकर नहीं आती,वह तो लेकर आती है काम और विश्वास.अगर डिस्ट्रीबुटर विश्वास के साथ काम करे तभी इन्कम आये तह बिना मेहनत कभी इन्कम न आये क्योकि सफलता हमेशा दर्द की कोख से जनम लेती है .६.कंपनी का पॉलिटिकल बकग्राउंड: कंपनी ऐसी हो की वहा की राज्य सरकार जिसके खिलाफ न हो,या वहा की किसी सरकार द्वारा उसपर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध या बेन (BAN ) नहीं लगाया गया हो.७.कंपनी के प्रोडक्ट की मांग : कही कंपनी ऐसा प्रोडक्ट तो नहीं बनाती जिसकी मार्केट में कोई डिमांड न हो,या उस देश की संस्कृति के अनुकूल न हो.यदि भारत में कोई कंपनी ऐसा प्रोडक्ट लाती है जैसे महँगी ताकत की दवाये,ब्लड प्रेशर ब्रासलेट,डायबिटीज़ की दवा,मंहगे क्लब की मेम्बरशिप,विदेश यात्रा पैकेज,वजन कम या बढ़ने की दवा इत्यादि तो आप मुझे बताये की भारत में कितने लोग इस तरह की कंपनी के प्रोडक्ट लेंगे.यहाँ तो ऐसी कंपनी चलेगी जो रोजमर्रा की चीजे जैसेकपडा,चाय,तेल,साबुन,शेम्पू,कॉस्मेटिक,लिक्विड क्लीनर,खाने कासामानजैसेबिस्कुट,नमकीन,मीठाई,गरम मसाला,चमड़े का सामान (जूते,बेल्ट,बैग,पर्स) रेडीमेड गारमेंट जैसे ( जींस,पेंट,शर्ट,टाई,टॉप,शूट,बनियान,अंडरगारमेंट),गर्म कपडे,इलेक्ट्रॉनिकआय़टम (घडी,कोम्पुटर ,लैपटॉप प्रिंटर) तथा जो कंपनी सर्विससेक्टरनभूले जैसेइंश्योरेंस,मोबाइल,बैंकिंग,ऑटोमोबाइल ,होसपीटल होटल्स,हाऊसिंग,होम अप्लाईनसेस,टीवी चेनल्स इत्यादि.अगर कोई कंपनी उपरोक्त सभी प्रोडक्ट या उनमे से बहुत सारे प्रोडक्ट की (M.L.M.) करती है तो निश्चित रूप से आनेवाले दिनों में सफल होगी .R.C.M. ही क्यों की जाये:अ़ब सवाल ये उठता है की कोनसी M.L.M.की जाये तथा R.C.M. ही क्यों की जाय,जवाब बिलकुल सीधा है उपरोक्त सभी सवालो का जवाब सिर्फ यही कंपनी दे सकती है,कंपनी १९७७ से कपडो के व्यवसाय में लीन है तथा सन २००० से मल्टी लेवल मार्केटिंग कर रही है तथा भारत की टॉप टेन(TEN) कपडा बनाने वाली कंपनी में से एक,तथा नमक से लेकर लैपटॉप तक सभी सामान एक ही दुकान में उपलब्ध,८० लाख से १ करोड़ के लगभग डिस्ट्रीबुटर,५००० RCM पीकअप सेंटर ,८०० RCM बाज़ार, भारत के २९ राज्यों ,९००० शहरो में बिज़नस,आनेवाले समय में RCM मेगा मार्ट खोलने की तैयारी,लगभग ७००० करोड़ की कंपनी,T.D.S.देने के मामले में RELIANCE के बाद नंबर दो पर,भारत की पहली कंपनी जिसने कभी किसी से LOAN नहीं लिया तथा भारत की पहली कर्ज रहित कंपनी.आज के युग में जहा बडी बडी नामी कंपनी BANK लोन लेकर व्यवसाय करती है वहा RCM बिना बैंक लोन लिए इतना विशाल व्यवसाय खडा करने में सफल हुई है .अगर आपकी मंजिल M.L.M. है तो आप के सवालो का जवाब है R.C.M.(RIGHT CONCEPT MARKETING) क्योकि यही मार्केटिंग करने का सही तरीका है

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