सोमवार, 9 मई 2011

आत्म ज्ञान

1 मनुष्य जन्म इस ब्रहमांड की सबसे अनमोल उपलब्धी है !यह सोचने का विषय है की क्या हम इसका सद्पुयोग कर रहे है ? २ हाथ में आये हीरे को हम पत्थर समझते रहे तो इसमे हीरे का क्या दोष है ? ३ सुख किसी वस्तु में नही है , वह मन के भीतर है ! यदि वस्तु में होता तो एक ही वस्तु से एक आदमी सुखी व् एक दुखी न होता ! ४ यदि हमे अपने लिए ही जीना है तो परमात्मा ने हमे मनुष्य न बनाया होता ! ५ जब आप अपने से अमीर आदमी को देखते हो तो अपने आप को गरीब समझने लग जाते हो और अपने से गरीब आदमी देखते हो तो अपने आप को अमीर समझने लग जाते हो !यह तो ऐसा हो गया कि बुखार आपका नापना हो और थर्मामीटर किसी और के लगाया जाये ! ६ कुछ नुकसान होने पर हम बहुत पश्चाताप करते है !जरा सोचो दुनिया में हम क्या लेकर थे ? ७ आपकी कमजोरियों को बताने वाले से कभी नाराज न होवे ,बल्कि उसे धन्यवाद दे !

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