रविवार, 15 मई 2011

बातचीत




जीवन में कुछ भी कार्य सम्पन्न करना हो तो दुसरो के सम्पर्क में आना पड़ता है ! उनमे किसी न किसी रूप में सम्बन्ध स्थापित करना होता है और उसका मुख्य तरीका है बातचीत ! जिस प्रकार जीवन में खाना -पीना जरूरी है उसी प्रकार बातचीत करना भी जरूरी है !मों रहने वाले या नही बोल पाने वाले भी बातचीत का कुछ न कुछ तरीका अपनाते ही है ! बातचीत करते समय अलग -अलग स्थिति में अलग -अलग सिध्दांत अपनाने पड़ते है !हर समय एक सिध्दांत काम नही कर सकता !सामने वाले के साथ आपके सम्बन्ध कैसे है ,क्या विषय है ,क्या समय है ,क्या उधेश्य है उसी के अनुरूप अपने विवेक से काम लेना होता है !महत्वपूर्ण यह नही है आप कितना जानते है या आपकी बात कितनी सही है !महत्वपूर्ण यह है कि आपकी बात कितनी प्रभावशाली रही !बातचीत करते समय कुछ बुनियादी उसूलो को ध्यान में रखते हुए विवेकपूर्ण रहेगे तो हर छेत्र में सफलता प्राप्त होगी ,लोगो से आपके सम्बन्ध मधुर होगे व् आपका सम्मान बना रहेगा ! *अपनी मुख्य बात करने से पहले कुछ इस तरह की चर्चा करे की आप सामने वाले के स्वभाव को समझ सके ! *अपनी बातचीत का तरीका सामने वाले के स्वभाव के अनुकूल रखे ! *मनुष्य दुसरो के फायदे के बजाय अपने फायदे के बारे में ज्यादा सोचता है !अत हमेशा दुसरो के फायदे के बार मे बात करे !*लोगो से बात करे तो उनके गुणों का ज्यादा बखान करे ,खुद के बारे मे कम !*सामने वाले की बात थोड़ी प्रशंसा के लायक हो तो उसकी खुलकर प्रशंसा करे !*सामने वाला बहुत गुस्से मे हो तो आपका शांत रहना ही उचित है !उसको कुछ समझाने का प्रयास उस समय न करे !***बातचीत एक से ज्यादा लोगो से चल रही हो तो किसी एक को ही पूरा महत्व न दे !* एक ही बात को बार -बार न दोहराए !*ज्यादा से ज्यादा सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करे !*** बातचीत मे अहंकार का भाव न आने दे !*** प्रसन्न मुद्रा बातचीत के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है !

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